बौद्ध और तिब्बती संस्कृति कला

बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और कला के विकास के लिए वित्तीय सहायता स्कीम

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    संपर्क सूत्र:

    श्री प्रवीण शर्मा (यूएस), पुरातत्‍व भवन, 'डी' ब्लॉक, दूसरी मंजिल, आईएनए, नई दिल्ली

    फ़ोन : 24642159ईमेल : bti-section-culture@gov.in

    उद्देश्‍य:

    इस स्कीम का उद्देश्य बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और परम्परा के प्रचार-प्रसार एवं वैज्ञानिक विकास तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में कार्यरत मठों सहित स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

    अनुदान के लिए मानदंड:

    • स्वैच्छिक संस्था/संगठन और सोसायटी को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का XXI) अथवा सदृश अधिनियमों के अंतर्गत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
    • केवल वही संगठन अनुदान के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे, जो मुख्यतः बौद्ध/तिब्बती अध्ययन कार्यों में लगे हैं तथा कम से कम गत तीन वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
    • संगठन क्षेत्रीय अथवा अखिल भारतीय स्तर का होना चाहिए।
    • यह अनुदान तदर्थ आधार पर दिया जाएगा तथा इसका स्वरूप अनावर्ती प्रकृति का होगा।
    • इस स्कीम के अंतर्गत केवल उन्हीं संगठनों को अनुदान दिया जाएगा, जिन्हें ऐसे ही प्रयोजनों के लिए किसी अन्य स्रोत से अनुदान प्राप्त नहीं होता है।
    • हॉस्‍टल भवन, कक्षा, विद्यालय भवन और प्रशिक्षण केन्द्र के निर्माण के लिए भी वित्तीय सहायता दी जा सकती है।
    • ऐसे संगठनों को वरीयता दी जाएगी, जिनका संबंधित क्षेत्र में किया जा रहा कार्य अच्छा है तथा जिनके पास समनुरूपी निधियों की पूर्ति के लिए संसाधन उपलब्ध हैं।

    सहायता का प्रयोजन और मात्रा

    किसी एक संगठन को प्रत्येक वर्ष अधिकतम 30.00 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता नीचे दी गई सभी मदों अथवा किसी एक मद के लिए दी जा सकती है। अखिल भारतीय स्वरूप के ऐसे संगठनों और मठ विषयक शिक्षा प्रदान करने वाले किसी स्कूल के संचालन के मामले में वित्तीय सहायता की राशि अधिकतम सीमा से ज्यादा हो सकती है और जो विशेषज्ञ सलाहकार समिति की सिफारिश पर और वित्तीय सलाहकार, संस्कृति मंत्रालय के परामर्श से संस्कृति मंत्री के अनुमोदन पर निर्भर करेगी।

    क्र.सं. मदें अधिकतम राशि प्रतिवर्ष
    i अनुरक्षण (कार्मिकों को वेतन, कार्यालय व्यय/विविध व्यय) 5,00,000/रु.
    ii बौद्ध/तिब्बती कला और संस्कृति के संवर्धन संबंधी अनुसंधान 2,00,000/रु.
    iii बौद्ध धर्म से संबंधित पुस्तकों की खरीद, प्रलेखन, सूचीकरण 5,00,000/रु.
    iv मठवासी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना 5,00,000/रु.
    v बौद्ध/तिब्बती कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए विशेष पाठ्यक्रम चलाना 2,00,000/रु.
    vi बौद्ध कला और संस्कृति के परिरक्षण और प्रसार के लिए पारंपरिक सामग्रियों की ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग/प्रलेखन/ अभिलेख तैयार करना 5,00,000/रु.
    vii मठीय बौद्धभिक्षुक स्कूलों के लिए आईटी उन्नयन और आईटी समर्थित षिक्षण/प्रशिक्षण सहायता प्रदान करना 5,00,000/रु.
    viii दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित मठीय स्कूलों/मठों के लिए परिवहन सुविधा 5,00,000/रु.
    ix मठ-विषयक शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल का संचालन कर रहे संगठन के अध्यापकों का वेतन 5,00,000/रु.
    x बौद्ध धर्म से संबंधित प्राचीन मठों एवं विरासत भवनों की मरम्मत, जीर्णोद्धार, नवीकरण 30,00,000/रु.
    xi कक्षाओं के लिए शौचालय तथा पीने के पानी सहित विद्यालय भवन, छात्रावास और प्रशिक्षण केन्द्रों का निर्माण जो बौद्ध/तिब्बती कला और संस्कृति तथा मठीय विद्यालयों के लिए पारंपरिक शिल्‍प के कौशल विकास पर केन्द्रित हैं। 30,00,000/रु.

    किसी संगठन को अनुमत अधिकतम अनुदान की मात्रा विनिश्चित अधिकतम सीमा के अध्यधीन किसी मद पर होने वाले कुल व्यय का 75 प्रतिशत होगी। शेष 25 प्रतिशत अथवा अधिक खर्च राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा वहन किया जाना चाहिए। ऐसा न होने पर अनुदानग्राही संगठन अपने स्वयं के संसाधनों से उक्त राशि का योगदान कर सकता है। तथापि, पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम के मामले में, भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा क्रमश: 90:10 के अनुपात में निधि की भागीदारी होगी, ऐसा न होने पर अनुदानग्राही संगठन अपने स्वयं के संसाधन से उक्त राशि का योगदान करेगा।

    आवेदन की प्रक्रिया:

    सम्बद्ध संगठन संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के माध्यम से संगठन की पात्रता की जांच करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों/सूचना के साथ पूर्ण आवेदन प्रस्तुत करेगा। तथापि, पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू और कश्‍मीर के लेह और कारगिल जिले में स्थित संगठन को अपने आवेदन केवल संबंधित जिलाधीश/उपायुक्त की सिफारिश के बाद सीधे संस्कृति मंत्रालय को भेजने की छूट दी गई है।

    क्र.सं. दस्तावेज/सूचना
    i. वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि जिसमें पंजीकरण की वैधता स्पष्ट रूप से दर्षायी गई हो। पंजीकरण प्रमाण-पत्र की यह प्रति राजपत्रित अधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित हो।
    ii. संगम ज्ञापन की प्रतिलिपि।
    iii. पिछले तीन वर्षों की लेखा परीक्षा लेखों की प्रतियां
    iv. पिछले तीन वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट की प्रतियां
    v. शुरू किए जाने वाले प्रत्येक कार्यकलाप संबंधी मदवार विवरण, साथ ही मांगी गई निधियों का विस्तृत ब्यौरा, वांछित लाभार्थियों की संख्या, परियोजना की समय सूची आदि।
    vi. खरीदी जाने वाली पुस्तकों की सूची और उनकी लागत, यदि लागू हो।
    vii. सिविल निर्माण के मामले में भूमि/भवन का मालिकाना हक साबित करने वाले पंजीकरण प्रमाणपत्र एवं अन्य दस्तावेजों की प्रतियां, यदि लागू हो।
    viii. सिविल कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट संबंधी सूचना जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कुल भूमि उपलब्धता, अनुमानित लागत-मदवार, व्यय की स्थिति, पूर्णता अनुसूची, प्रत्येक मद के लिए राज्य लोक निर्माण विभाग से अनुमोदित प्राक्कलन, वास्तुविद के ब्यौरे, अध्ययन कक्षों के ब्यौरे - क्या प्राथमिक अथवा माध्यमिक हैं, अध्ययन कक्षों की संख्या, प्रत्येक कक्षाओं में छात्रों की संख्या, कौन से पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं और किस कक्षा तक आदि शामिल हैं, यदि लागू हों।
    ix.

    शिक्षकों का ब्यौरा - नाम, आयु, योग्यता एवं उनको भुगतान किया गया वेतन। षिक्षकों के वेतन से संबंधित प्रस्ताव निम्नलिखित के अध्यधीन होंगे:-

    • यदि सोसायटी अपने भवन में मठीय विद्यालय चला रही है अथवा यह इसके मठ में विद्यालय चला रही है।
    • ऐसे विद्यालय में प्रशिक्षण लेने वाले मठवासी/मठ विद्यार्थियों की संख्या।
    • शिक्षकों की संख्या, उनकी आयु और योग्यता तथा उनको भुगतान किया गया वेतन।
    • क्या मठीय विद्यालय, राज्य में किसी स्थानीय शिक्षा बोर्ड अथवा किसी अन्य शिक्षा बोर्ड से संबद्ध है ?
    • छात्र दैनिक शिक्षार्थी हैं अथवा विद्यालय स्रोत आवास में रह रहे हैं?
    x.

    विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने से संबंधित प्रस्ताव निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन होगा:-

    • छात्रवृत्ति के भुगतान के लिए व्यक्तियों के चयन का मानदंड,
    • क्या संगठन छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने हेतु अभ्यर्थियों को छात्रवृत्ति जारी करने के बारे में वित्तीय अथवा शैक्षिक वर्ष के प्रारंभ में अधिसूचित करता है? यदि हॉ, तो ऐसी अधिसूचना का तरीका और प्रमाण देना होगा।

    सिफारिश: राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र, जिलाधीश/उपायुक्त प्रस्ताव की सिफारिश करते समय निम्नलिखित की जांच करेंगे :-

    • संगठन की पंजीकरण स्थिति।
    • क्या संगम ज्ञापन के अनुसार संगठन के उद्देश्यु और कार्यकलाप बौद्ध/तिब्बती कला और संस्कृति के संवर्धन से संबंधित हैं।
    • सूचना प्रौद्योगिकी उन्नयन, परिवहन सुविधाएं, सिविल निर्माण कार्य/षिक्षकों के वेतन के लिए मांगी गई निधियों के मामले में, क्या मठ, मठीय विद्यालय विद्यमान हैं/संगठन के स्वामित्व में हैं।
    • क्या संगठन ऐसी परियोजनाएं शुरू करने में सक्षम है?
    • कार्यकलाप/कार्यकलापों और संबंधित राशि की सिफारिश की जाती है।

    केन्द्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह, जम्मू और कष्मीर के लेह और कारगिल जिले में स्थित संगठनों के लिए ‘‘सहायता केन्द्र’’ के रूप में कार्य करेगा।
    of J & K.

    अनुदान जारी करने का तरीका तथा शर्तें:

    • क. आवेदन पत्रों के मूल्यांकन और विशेषज्ञ परामर्षी समिति द्वारा संस्तुत तथा उसके बाद संस्कृति मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारियों की प्रषासनिक स्वीकृति तथा वित्तीय सहमति के आधार पर अनुदान प्रदान किया जाएगा। प्रभारी संयुक्त सचिव प्रत्येक मामले में विशेषज्ञ परामर्षी समिति तथा आईएफडी के साथ परामर्श के आधार पर 30.00 लाख रूपए की राशि जारी करने हेतु सक्षम प्राधिकारी होंगे।
    • ख. अनुदान की अदायगी दो समान किस्तों में की जाएगी, पहली किस्त सामान्यतः परियोजना की स्वीकृति के समय जारी की जाती है। दूसरी किस्त संपूर्ण अनुदान राशि तथा अनुदानग्राही/संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के हिस्सों के इस्तेमाल को दर्शाने वाले विधिवत लेखा परीक्षा विवरण तथा सनदी लेखाकार की ओर से अन्य दस्तावेजों की प्राप्ति पर जारी की जाएगी। शेष केंद्रीय अनुदान के जारी किए जाने का निर्णय परियोजना पर किए गए वास्तविक व्यय के आधार पर किया जाएगा, बशर्तें कि यह अधिकतम सीमा से अधिक न हो।
    • ग. इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले संगठन का संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार अथवा संबंधित राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया जा सकता है।
    • घ. परियोजना का लेखा अलग से और समुचित ढंग से रखा जाएगा तथा आवश्यकता पड़ने पर भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकार के अधिकारी द्वारा अथवा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा अपने विवेकानुसार उसकी जांच की जा सकती है।
    • ड. संगठन, लेखाओं के भाग के रूप में अलग संलग्नक में ‘‘अनुरक्षण’’ शीर्ष के अंतर्गत व्यय का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेगा।
    • च. अनुदानग्राही निम्नलिखित की व्यवस्था करेगा:-
      • सरकार से प्राप्त सहायता अनुदान के सहायक लेखे।
      • विधिवत मुद्रित संख्याओं वाली जिल्दयुक्त पुस्तकों में हस्तलिखित रोकड़ बही रजिस्टर।
      • सरकार तथा अन्य एजेंसियों से प्राप्त अनुदानों के लिए सहायता अनुदान।
      • खर्च की प्रत्येक मद जैसे- छात्रावास भवन आदि के निर्माण के लिए अलग बही-लेखे।
    • छ. संगठन ऐसी सभी परिसम्पत्तियों का रिकॉर्ड रखेगा जो सम्पूर्णतः अथवा अधिकांशतः केन्द्रीय सरकार के अनुदान से अधिगृहित की गई हों। इन परिसम्पत्तियों को भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना उन उद्देश्यों के अलावा, जिनके लिए अनुदान दिया गया है, न तो इस्तेमाल किया जाएगा अथवा बेचा जाएगा अथवा गिरवी रखा जाएगा।
    • ज. यदि किसी समय भारत सरकार को इस बात का विश्वास हो जाता है कि मंजूर किए गए धन का इस्तेमाल अनुमोदित उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा है, तो अनुदान की अदायगी रोक दी जाएगी तथा पहले दिए गए अनुदानों की वसूली की जाएगी।
    • झ. संगठन को अनुमोदित परियोजना के संचालन में समुचित मितव्ययिता बरतनी चाहिए।
    • ञ. अनुदानग्राही संगठन, संस्कृति मंत्रालय को परियोजना की तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिसमें प्रत्येक अनुमोदित मदों की वास्तविक उपलब्धियों और उस पर होने वाले व्यय को विस्तारपूर्वक अलग-अलग दर्शाया गया हो।
    • ट. सिविल कार्यों के लिए अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन, अगले 10 वर्षों के लिए समतुल्य उद्देश्य के लिए अनुदान के लिए पात्र नहीं होंगे।
    • ठ. अनुदानग्राही, पीडब्ल्यूडी से कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र तथा सिविल कार्य का फोटो साक्ष्य प्रस्तुत करेगा।
    • ड. अनुदानग्राही, अनुसंधान परियोजना की 5 प्रतियां प्रस्तुत करेगा।
    • ढ. बौद्ध धर्म से संबंधित विरासत भवनों की मरम्मत, जीर्णोद्धार, नवीकरण के लिए अनुदान, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से प्राप्त प्रमाण-पत्र के अध्यधीन होगा। इस कार्य के लिए एएसआई कार्यालय/संबंधित मंडल से यथोचित स्तर का एक अधिकारी संगठन से सम्बद्ध होगा।
    • ण. ऐसे आवेदनों, जिनके पिछले अनुदान/उपयोग प्रमाण-पत्र लंबित हैं, पर विचार नहीं किया जाएगा।

    भुगतान का तरीका:

    सभी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के माध्यम से किए जाएंगे।

    स्कीम का परिणाम:

    निम्नलिखित प्रारूप के अनुसार दूसरी और अंतिम किस्त के अनुरोध के समय, हाथ में लिए गए कार्यकलाप संबंधी ‘निष्पादन - तथा - उपलब्धि रिपोर्ट’ संस्कृति मंत्रालय को विधिवत जिल्दसाजी की हुई 3 प्रतियों में प्रस्तुत की जाएगी।

    बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और कला के विकास के लिए वित्तीय सहायता स्कीम कार्य निष्पादन-सह-उपलब्धि रिपोर्ट

    i. संगठन का नाम, पता, टेलीफोन/फैक्स नंपपण्  
    ii. संस्वीकृति संख्या एवं तारीख  
    iii. कुल स्वीकृत अनुदान/व्यय
    मद सं0 स्वीकृत अनुदान किया गया खर्च
    iv. परियोजना का स्थान  
    v. लाभार्थियों की संख्या  
    vi. फोटो सहित मदवार कार्य निष्पादन-सह-उपलब्धियां  
    vii. बौद्ध कला और संस्कृति के परिरक्षण और विकास में सहायता के लिए इसने कैसे सहायता की/करेगा  
    viii. कोई अन्‍य बिन्‍दु  
    हस्ताक्षर ------------
    संगठन के अध्यक्ष/सचिव

    अपूर्ण आवेदन:

    अपूर्ण आवेदन जिनके साथ अपेक्षित दस्तावेज संलग्न नहीं हैं तथा निर्धारित प्राधिकारी की सिफारिश के बिना प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा तथा पूर्णतः अस्वीकृत कर दिए जाएंगे।

    विशेष प्रावधान

    स्कीम से सम्बद्ध विशेषज्ञ परामर्शी समिति (ईएसी) को राज्य सरकार / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन / स्थानीय प्रशासन से बिना सिफारिश अथवा सिफारिश से प्राप्त किसी भी प्रस्ताव को संस्तुत अथवा अस्वीकृत करने की शक्ति प्राप्त है और साथ ही वह अधिकतम सीमा से बाहर भी राशि की सिफारिश कर सकती है परंतु यह राशि इस स्कीम से 1.00 करोड़ रूपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। किसी ऐसे प्रस्ताव के संबंध में जो उत्कृष्ट स्वरूप का हो और जिसके संबंध में ईएसी अनुभव करे कि उक्त परियोजना को हाथ में लेने के लिए मंत्री (संस्कृति) के अनुमोदन से और संस्कृति मंत्रालय के अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार की सहमति से अधिकतम सीमा राशि पर्याप्त नहीं होगी तो उस पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। तथापि, ऐसे प्रत्येक मामले में जिसमें 30.00 लाख रूपए की सीमा पार की गई हो, ईएसी द्वारा विस्तृत औचित्य दिया जाएगा।

    निरीक्षण और मॉनीटरिंग:

    प्रत्येक वर्ष कम से कम 5 प्रतिशत मामलों में मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाएगा और केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्‍वविद्यालय, सारनाथ, नव नालंदा महाविहार, नालंदा, केन्द्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह, जेडसीसीज जैसे स्वायत्तशासी संस्थानों की सेवाओं का भी उपयोग किया जाएगा। संबंधित राज्य सरकार/ संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, जिलाधीश/उप आयुक्त भी मॉनीटर करेंगे।

    अनुदानों के दुरूपयोग के मामले में दंड:

    संगठन के कार्यकारी निकाय के सदस्यों से दुरूपयोग किए गए अनुदानों को वापस वसूल किया जाएगा। उक्त संगठन को निधियों के दुरूपयोग, गलत पंजीकरण प्रमाण-पत्र आदि के लिए काली-सूची में भी डाला जाएगा। सरकारी अनुदानों से बनाई गई सभी अचल सम्पत्तियां, मंत्रालय द्वारा निर्धारित स्थानीय प्रशासन द्वारा अपने अधिकार में ले ली जाएंगी।

  • National Culture Fund
  • http://india.gov.in/
  • http://www.incredibleindia.org/
  • http://ngo.india.gov.in/
  • http://nmi.nic.in/
  • https://mygov.in