इस स्कीम का उद्देश्यं, स्वैच्छिक सांस्कृपतिक संगठनों तथा सरकारी सहायता प्राप्तु सांस्कृतिक संगठनों को, कलाकारों के लिए समुचित रूप से सुसज्जित प्रशिक्षण, अभ्याकस व कला प्रस्तुति स्थठलों के सृजन में उनके प्रयासों में सहायता करना है।
- 4.1 इस स्कींम में निम्नवलिखित शामिल हैं:-
- निम्नकलिखित मानदण्डस पूरा करने वाले गैर-लाभकारी सभी संगठन :-
- कम से कम तीन वर्ष की अवधि के लिए प्राथमिक रूप से नृत्यह, नाटक, रंगमंच संगीत, ललित कला, भारत विद्या-शास्त्रि तथा साहित्यक के क्षेत्र में कला व संस्कृंति के संवर्धन में कार्यरत संगठन का स्वभरूप मुख्यसत: सांस्कृकतिक कार्यकलाप का होना चाहिए।
- संगठन कम से कम तीन वर्ष से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का 21वां) या सदृश अधिनियम के तहत सोसायटी या न्याकस या गैर-लाभकारी कम्पनी के रूप में पंजीकृत हो।
- संगठन की अपनी प्रतिष्ठा हो तथा अपने कार्यकलाप के क्षेत्र में सार्थक कार्य करने की उसकी ख्यांति हो और उसने स्थाठनीय, क्षेत्रीय या राष्ट्री य स्त र पर अपनी पहचान बनाई हो।
- इसके घोषणा पत्र में संगठन, भारतीय कला व संस्कृेति के परिरक्षण, प्रसार व संवर्धन के प्रति समर्पित हो।
- मंच कलाओं के संवर्धन में कार्यरत सरकारी प्रायोजित निकाय।
- मंच कलाओं के प्रति समर्पित विश्वाविद्यालय विभाग या केंद्र।
- मंच कलाओं के संवर्धन हेतु स्था्पित कॉलेज।
- 4.2 मंत्रालय की ‘‘विनिर्दिष्टग मंच कला परियोजनाओं हेतु कार्यरत व्यासवसायिक समूहों और व्य्क्तियों को वित्तीदय सहायता’’ की स्कीाम के तहत कम से कम 3 वर्ष से वेतन अनुदान प्राप्त् करते आ रहे संगठन को यह माना जाएगा कि उसने उपर्युक्त् सभी शर्तें पूरी कर दी हैं।
- 4.3 मंच कलाओं को समर्पित सरकार द्वारा प्रायोजित निकाय, विश्वंविद्यालय विभाग/केंद्र या कॉलेज भी स्व त: पात्र हो सकता है बशर्तें कि गत तीन वर्षों का उसका रिकॉर्ड संतोषजनक हो।
- 4.4धार्मिक संस्थागएं, सार्वजनिक पुस्तसकालय, संग्रहालय, स्कूसल, कॉलेज या विश्वरविद्यालय विभाग, जो मंच कलाओं तथा संबद्ध सांस्कृतिक कार्यकलापों के प्रति विनिर्दिष्टू रूप से समर्पित नहीं है, केंद्र सरकार/राज्य सरकार के विभाग या कार्यालय/स्थानीय निकाय पात्र नहीं होंगे।
- 4.5 वह संगठन जिसने पूर्व की ‘‘सांस्कृदतिक संगठनों का भवन अनुदान स्कीधम’’ या इस स्कींम के तहत अपनी भवन परियोजना के लिए अनुदान प्राप्तक किया हो, इस स्कीूम के तहत पूर्व में मंजूर परियोजना के पूरा होने से पहले दूसरे अनुदान के लिए पात्र नहीं होगा बशर्तें कि उक्तअ दूसरा अनुदान स्टूेडियो थिएटर (प्रायोगिक थिएटर) के लिए न मांगा गया हो और आवेदक संगठन ने चल रही स्वीलकृत परियोजना के संबंध में चूक न की हो।
- 5.1इस स्कीदम के तहत सभी अनुदान गैर-आवर्ती किस्मर के होंगे। आवर्ती व्यनय, यदि कोई हो, अनुदानग्राही संगठन की जिम्मे्दारी होगी।
- 5.2इस स्कीदम के तहत अधिकतम सहायता इस प्रकार होगी :
शहर |
परियोजना की किस्म् |
सहायता की सीमा |
बेंगलुरू |
नए निर्माण या निर्मित स्थयल की खरीद संबंधी परियोजनाएं |
50 लाख रू. |
चेन्नशई |
दिल्ली |
हैदराबाद |
अन्यो सभी परियोजनाएं |
50 लाख रू. |
कोलकाता |
मुम्बुई |
महानगरीय शहरों को छोड़कर अन्यग सभी शहर, नगर या स्थान |
सभी परियोजनाएं |
50 लाख रू. |
- 5.3इस स्कीतम के तहत किसी संगठन को उपर्युक्त् सीमा के अध्ययधीन परियोजना की अनुमोदित प्राक्कतलित लागत के अधिकतम 60 प्रतिशत तक सहायता दी जाएगी। परियोजना की अनुमोदित प्राक्ककलित लागत की शेष राशि, इसकी ‘बराबर की हिस्सेनदारी’ के रूप में संबंधित संगठन द्वारा वहन की जाएगी। उदाहरण :- हानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थधल की खरीद संबंधी परियोनाओं हेतु
- मामला : 1 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 100 लाख रू. है तो संस्वीयकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 50 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेयदारी 50 लाख रू. होगी।
- मामला : 2 यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 70 लाख रू. है तो संस्वीयकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 42 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेयदारी 28 लाख रू. होगी।
गैर-महानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थ ल की खरीद संबंधी परियोजनाओं तथा 3.2 (ख, ग, तथा घ) के तहत सभी परियोजनाओं हेतु
- मामला : 3यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 60 लाख रू. है तो संस्वीगकृति योग्य् अनुदान की अधिकतम राशि 25 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेयदारी 35 लाख रू. होगी।
- मामला : 4यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 40 लाख रू. है तो संस्वीगकृति योग्यर अनुदान की अधिकतम राशि 24 लाख रू. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेुदारी 16 लाख रू. होगी।
- 5.4 भूमि की लागत (प्राप्ताकर्ता संगठन द्वारा अदा की गई वास्तीविक धनराशि न कि बाजार मूल्य ) तथा संगठन द्वारा वहन किए गए विकास प्रभार को बराबर हिस्सेवदारी की राशि माना जाएगा।
- 5.5संगठन द्वारा आवेदन की तारीख के एक वर्ष के भीतर निर्माण/भूमि व भवन के विकास तथा जुड़नारों व फिटिंग पर पहले से किए गए व्य य को भी बराबर हिस्सेूदारी की राशि माना जाएगा। संगठन इस संबंध में किए गए व्ययय का सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित लेखा-जोखा प्रस्तु त करेगा।
- 5.6 यदि बाद में परियोजना की लागत बढ़ जाती है तो भारत सरकार की देयता मूलत: स्वी.कृत राशि तक सीमित होगी और अतिरिक्तो सम्पूकर्ण व्य य, अनुदानग्राही संगठन द्वारा अपने संसाधनों से पूरा किया जाएगा।
- 5.7 परियोजना प्रस्ता व पर विचार किए जाने तथा कतिपय राशि के लिए उसे अनुमोदित किए जाने पर सामान्यतया परियोजना की समीक्षा और उसकी लागत बढ़ाने के लिए बाद में किसी भी अनुवर्ती अनुरोध को स्वीोकार नहीं किया जाएगा।
- 5.8वित्तीरय सहायता की मंजूरी की वैधता, प्रथम किस्तो जारी होने की तारीख से 3 वर्ष की होगी और सभी परियोजनाएं 3 वर्ष के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य हैं।
- 6.1 संस्कृदति मंत्रालय अपनी वेबसाइट के जरिए यह स्कीहम अधिसूचित करेगा। (www.indiaculture.nic.in).
- 6.2 संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्कीीम के प्रचार-प्रसार हेतु वर्ष में कम से कम एक बार संक्षिप्ते विज्ञापन दिया जाएगा।
- 6.3 निर्धारित प्रपत्र में आवेदन केवल संस्कृएति मंत्रालय, शास्त्री भवन, नई दिल्ली को प्रस्तु त करना होगा जब तक कि मंत्रालय की ओर से आवेदन प्राप्ता करने/स्कीतम कार्यान्वित करने के लिए इसके द्वारा किसी अन्यी संगठन या एजेंसी को मनोनीत या प्राधिकृत न किया गया हो।
- 6.4 आवेदन के साथ नीचे खण्डौ 7 के तहत उल्लिखित सभी दस्ताेवेज संलग्नक किए जाने अनिवार्य हैं। इन अनिवार्य दस्ताणवेजों के बिना प्राप्तत किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा और उसे प्रेषक को लौटा दिया जाएगा।
आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज लगाए जाने चाहिए
- 7.1परियोजना रिपोर्ट/प्रस्ताव जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे–
- संगठन की रूपरेखा जिसमें संगठन, इसकी क्षमताओं, उपलब्धियों तथा गत तीन वर्षों के इसके कार्यकलापों के वर्ष-वार ब्यौरे का विवरण हो।
- परियोजना/प्रस्ताव की तर्कसंगतता/औचित्य सहित इसका विवरण।
- लागत प्राक्कलन (भवन/उपस्कर/सुविधाओं) का सार।
- वित्त/निधियों के स्रोत।
- परियोजना पूरी होने की समय अनुसूची और
- समापन उपरान्त-संगठन किस प्रकार परियोजना के माध्यम से सृजित सुविधा के प्रचालन व अनुरक्षण का संचालन करेगा और आवर्ती अनुरक्षण/प्रचालन लागत को पूरा करेगा।
- 7.2सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या अन्य संगत अधिनियमों के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि।
- 7.3 संगठन के नियमों व विनियमों, यदि कोई हों, सहित इसके संगम ज्ञापन (या न्यास विलेख) की प्रतिलिपि।
- 7.4 प्रबंधन बोर्ड के वर्तमान सदस्यों/पदाधिकारियों/न्यासियों की सूची जिसमें प्रत्येक सदस्य का नाम व पता हो।
- 7.5 गत तीन वित्त वर्षों के वार्षिक लेखाओं (सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित/संपरीक्षित) की प्रतिलिपियां
- 7.6 स्वामित्व विलेख (पंजीकृत हस्तांतरण विलेख, उपहार विलेख, पट्टा विलेख आदि) जिसमें निम्नलिखित का उल्लेख हो
- परियोजना की भूमि/भवन पर आवेदक संगठन का स्वामित्व और इस आशय की पुष्टि कि उक्त सम्पत्ति का इस्तेमाल वाणिज्यिक, संस्थागत या शैक्षिक प्रयोजन से किया जा सकता है। निर्मित स्थल की खरीद के प्रस्ताव के मामले में आबंटन पत्र/विक्रय करार की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए।
- भूमि/भवन की लागत यदि स्वामित्व विलेख में भूमि/भवन की लागत का उल्लेख नहीं किया गया है तो लागत के समर्थन में संगत दस्तावेज संलग्न किए जाएं।
- 7.7 समुचित नागरिक निकाय/स्थानीय प्राधिकारी (नगर-पालिका, पंचायत, विकास प्राधिकरण, सुधार न्यास आदि) द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित भवन/विकास योजनाओं की प्रतिलिपि। निर्मित स्थल की खरीद के प्रस्ताव के मामले में सक्षम नागरिक निकाय/स्थानीय प्राधिकारी द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित/जारी नक्शा योजना तथा निर्माण सम्पूर्ण प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाए।
- 7.8पंजीकृत वास्तुविद द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित लागत प्राक्कलन (भवन/उपस्कर) जो यह प्रमाणित करेगा कि :
- मात्राएं, परियोजना की ढांचागत अपेक्षाओं के अनुरूप हैं।
- दरें, प्रचलित बाजार मूल्यों के अनुरूप हैं, और
- लागत प्राक्कलन तर्क संगत हैं।
- 7.9इस आशय के दावे के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी प्राप्त कर ली है या इसे प्राप्त करने के प्रबंध कर लिए हैं अर्थात बैंक विवरण, परियोजना पर किए जा चुके खर्च का प्रमाण पत्र (ब्यौरे के साथ, जो सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से प्रमाणित हो) ऋण मंजूरी पत्र, परियोजना के लिए निधियों की मंजूरी दर्शाने वाला राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासन/स्थानीय निकाय आदि का पत्र।
- 7.10 संगठन के प्रबंधन बोर्ड/कार्यकारी बोर्ड/शासी निकाय का संकल्प (निर्धारित प्रपत्र में) जिसमें संगठन की ओर से अनुदान हेतु आवेदन, बंध-पत्र आदि पर हस्ताक्षर करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत किए जाने का उल्लेख हो।
- 7.11निर्धारित मूल्य राशि के (स्टाम्प पेपर) पर मांगी गई सहायता का बंध-पत्र (निर्धारित प्रपत्र में)
- 7.12 संगठन के बैंक खाते का ईसीएस ब्यौरा दर्शाने वाला बैंक प्राधिकरण पत्र (निर्धारित प्रपत्र में)
नोट :
- आवेदक संगठन, अपने प्रस्ताव के समर्थन में ऐसा कोई भी अन्य दस्तावेज संलग्न कर सकता है जो वह प्रस्तुत करना चाहे (अर्थात राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय सरकारी निकाय या अकादमी से प्रमाण-पत्र या संस्तुति पत्र, वार्षिक रिपोर्ट, प्रेस कतरने/समीक्षाएं, कार्य आबंटन पत्र, संबद्धता पत्र आदि)
- जहां कहीं दस्तावेज क्षेत्रीय भाषा में हैं, उनका अंग्रेजी व हिंदी रूपान्तरण भी उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है।
- जहां कहीं कतिपय दस्तावेज की प्रतिलिपियां प्रस्तुत की जा रही हों, उन्हें किसी राजपत्रित अधिकारी या नोटरी पब्लिक द्वारा विधिवत रूप से सत्यापित कराया जाना चाहिए।
- मंच कलाओं को समर्पित सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, विश्वविद्यालय विभागों या केंद्रों और कॉलेजों के मामले में बिंदु 7.2 से 7.10 पर विनिर्दिष्ट दस्तावेजों में से केवल ऐसे दस्तावेजों को उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है जो आवेदक संगठन से संबंधित हों।
- 8.1 संस्कृति मंत्रालय में प्राप्त सभी आवेदनों की, संस्कृति मंत्रालय के पी.आर्ट्स प्रभाग द्वारा उपर्युक्त अपेक्षाओं के अनुसार पूर्णता की दृष्टि से जांच की जाएगी। अधूरे आवेदनों पर विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्यांकन हेतु आगे कार्रवाई नहीं की जाएगी।
- 8.2 मूल्यांकन समिति द्वारा मूल्याकंन से पहले, जहां कहीं समिति ऐसा चाहे, आवेदनों की, संस्कृति मंत्रालय के अधीन किसी संगठन या इस प्रयोजनार्थ नियुक्त किसी विशेषज्ञ समूह या किसी ऐजेंसी की सहायता से सत्यापन पूर्व जांच भी की जा सकती है। वैकल्पिक तौर पर इससे पहले प्रस्ताव के मामले विशेष में या स्थायी व्यवस्था के बतौर किसी समतुल्य समूह (पीयर ग्रुप) द्वारा मूल्यांकन कराया जा सकता है। ऐसे पूर्व सत्यापन या पूर्व मूल्यांकन का प्रयोजन, संगठन की प्रतिष्ठा व क्षमताओं तथा परियोजना की सुयोग्यता का आन्तरिक मूल्यांकन करना होगा।
- 8.3 सभी तरह से पूर्ण आवेदन पर विशेषज्ञ समिति द्वारा बैचों में विचार किया जाएगा, जिसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा गठित किया जाएगा और समिति, अनुदान हेतु प्राप्त आवेदनों की संख्या के आधार पर वर्ष के दौरान समय-समय पर बैठक करेगी।
- 8.4 विशेषज्ञ समिति निम्नलिखित के विशेष सन्दर्भ में प्रत्येक परियोजना प्रस्ताव के गुणावगुण के संबंध में उसका मूल्यांकन करेगी :
- क्या आवेदक संगठन संबंधित क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित है और उसकी अपनी पहचान है।
- क्या प्रस्ताव की संकल्पना उत्तम है
- क्या लागत प्राक्कलन तर्कसंगत है; और
- क्या परियोजना पूरी करने के लिए संगठन की अपनी बराबर की हिस्सेदारी जुटाने की क्षमता है या इसने इसकी व्यवस्था की है (जहां आवेदक संगठन ने बराबर की हिस्सेदारी की सम्पूर्ण राशि पहले ही खर्च दी है उस मामले में इस अपेक्षा को पूरा किया मान लिया जाएगा)।
- 8.5 विशेषज्ञ समिति में मंच कलाओं व संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकार शामिल होंगे और इसमें वास्तुविद, सिविल इंजीनियर तथा प्रकाश/ध्वनि/मंच शिल्प में तकनीकी विशेषज्ञ तथा साथ ही संस्कृति मंत्रालय के संबंधित अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
- 9.1 परियोजना प्रस्ताव का अनुमोदन होने पर, मंत्रालय इस निर्णय की सूचना, संबंधित संगठन को देगा जिसमें परियोजना की कुल अनुमोदित लागत, मंजूर की गई सहायता की मात्रा, संगठन की बराबर की हिस्सेदारी की मात्रा तथा सहायता की संस्वीकृत राशि जारी करने संबंधी अन्य शर्तों का उल्लेख होगा।
- 9.2 संस्वीकृति पत्र में उस भवन/उपस्करों को भी विनिर्दिष्ट किया जाएगा जिनके लिए सहायता मांगी गई है।
- 9.3सहायता की संस्वीकृत राशि निम्नलिखित तरीके से किस्तों में जारी की जाएगी।
- 9.3.1 प्रथम किस्त संस्वीकृत सहायता की 40 प्रतिशत राशि की प्रथम किस्त, बिना किसी आगे पत्राचार के मंत्रालय द्वारा परियोजना प्रस्ताव के अनुमोदन/संस्वीकृति पर जारी की जाएगी।
- 9.3.2 दूसरी किस्त संस्वीकृत अनुदान की 30 प्रतिशत राशि की दूसरी किस्त निम्नलिखित प्रस्तुत किए जाने पर जारी की जाएगी :
- किसी पंजीकृत वास्तुविद से परियोजना के संबंध में वास्तविक व वित्तीय प्रगति की रिपोर्ट जिसमें स्थल के फोटो सहित पहले से पूरे किए गए कार्य का ब्यौरा हो।
- पंजीकृत वास्तुविद से निम्नलिखित आशय का प्रमाण पत्र : • परियोजना कार्य, अनुमोदित योजना के अनुसार पूरा किया गया है/चल रहा है; • स्थानीय कानूनों या निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है; • किया गया कार्य संतोषजनक स्तर का है; और • किए गए कार्य की लागत का मूल्याकंन और परियोजना कार्य पूरा करने के लिए आगे और अपेक्षित राशि।
- सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित परियोजना के लेखाओं का संपरीक्षित विवरण।
- सनदी लेखाकार द्वारा उपयोग प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि सहायता राशि की दूसरी किस्त पूरी तरह परियोजना पर खर्च की गई है।
- सनदी लेखाकार का एक प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी का 40% खर्च कर दिया है।
- 9.3.3अंतिम किस्त संस्वीकृत अनुदान के 30 प्रतिशत राशि के बराबर अंतिम किस्त निम्नलिखित प्रस्तुत किए जाने के बाद जारी की जाएगी :
- अनुदान ग्राही संगठन ने निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए :
- किसी पंजीकृत वास्तुविद से परियोजना के संबंध में वास्तविक व वित्तीय प्रगति की रिपोर्ट जिसमें स्थल के फोटों सहित पहले से पूरे किए गए कार्य का ब्यौरा हो।
- पंजीकृत वास्तुविद से निम्नलिखित आशय का प्रमाण पत्र : • परियोजना कार्य, अनुमोदित योजना के अनुसार पूरा किया गया है/चल रहा है; • स्थानीय कानूनों या निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है; • किया गया कार्य संतोषजनक स्तर का है; और • किए गए कार्य की लागत का मूल्याकंन और परियोजना कार्य पूरा करने के लिए आगे और अपेक्षित राशि।
- सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित परियोजना के लेखाओं का संपरीक्षित विवरण।
- सनदी लेखाकार का उपयोग प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि सहायता राशि की दूसरी किस्त पूरी तरह परियोजना पर खर्च की गई है।
- सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी का 70% खर्च कर दिया है।
- संस्कृति मंत्रालय ने अपने प्रतिनिधि(यों) के माध्यम से परियोजना का वास्तविक रूप से निरीक्षण करा लिया है। परियोजना की प्रकृति और आकार के आधार पर, मंत्रालय ऐसी फील्ड जांच के लिए, मंत्रालय से अथवा इसके संगठनों से और/अथवा विभिन्न कार्यालयों/शाखाओं से लिए गए अधिकारियों और/या विशेषज्ञों के एक दल को प्रतिनियुक्त कर सकता है, अथवा यह निरीक्षण करने के लिए अन्य पक्ष की सेवाएं ले सकता है। टिप्पणी यदि आकलित निधियों की अंतिम मांग, अनुमोदित परियोजना लागत से कम है अथवा संगठन द्वारा बराबर की हिस्सेदारी की खर्च की गई राशि अनुमोदित परियोजना लागत के 40% से कम है, तो अनुदान की अंतिम किस्त की राशि उसी के अनुरूप कम कर दी जाएगी।
- 10.1 भारत सरकार द्वारा जारी अनुदानों के लिए अलग खाता रखना होगा।
- 10.2 परियोजना के खाते और स्थल, संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि द्वारा किसी भी समय जांच के लिए तैयार होने चाहिएं।
- 10.3यदि परियोजना, पहली किस्त के जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरी नहीं की जाती है तो, संगठन को आगे कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा तथा उक्त दावा काल-बाधित हो जाएगा।
- 10.4 संगठन के खाते, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अथवा अपने विवेक से उनके द्वारा नामिती द्वारा किसी भी समय लेखा-परीक्षा के लिए तैयार होने चाहिएं।
- 10.5 अनुदान अथवा उसके बाद किसी किस्त के जारी होने के वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छ: महीने के भीतर अनुदानग्राही, अगले वर्ष में भारत सरकार को अनुमोदित परियोजना पर किए गए व्यय को दर्शाने वाला सनदी लेखाकार द्वारा लेखा-संपरीक्षित तथा प्रमाणित विवरण तथा भारत सरकार के अनुदान की उपयोगिता को दर्शाने वाला उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा। यदि उक्त अवधि के भीतर उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो अनुदानग्राही को भारत सरकार की मौजूदा ब्याज दर पर ब्याज सहित प्राप्त कुल अनुदान राशि को तुरंत वापिस करना होगा, बशर्ते कि भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से छूट न दी गई हो।
- 10.6मामला बंद करने के लिए, आवेदक को वित्तीय वर्ष, जिसमें अंतिम किस्त जारी की गई है, की समाप्ति के 6 महीने के भीतर निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे :
- यदि परियोजना में नया निर्माण शामिल है, यथोचित नागरिक प्राधिकारी को भेजी गई भवन निर्माण पूरा होने की सूचना की प्रति अथवा इसके द्वारा जारी सम्पूर्णता प्रमाण पत्र; और पूर्व-निर्मित स्थल की खरीद वाली परियोजनाओं के मामले में, भवन-निर्माता/विक्रेता को किए गए सभी भुगतानों की रसीदों, स्वामित्व पत्र और पंजीकरण/मालिकाना शपथ-पत्र की प्रतियां।
- वास्तुविद से परियोजना पूरी करने संबंधी रिपोर्ट।
- सनदी लेखाकार से प्रमाण पत्र कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी की पूर्ण राशि खर्च कर दी है।
- 10.7भारत सरकार के अनुदान पूर्णरूपेण अथवा मुख्य रूप से अधिगृहीत स्थायी और अर्ध-स्थायी परिसंपत्तियों का एक रजिस्टर निर्धारित फार्म (फार्म-GFR-19) में तैयार किया जाना चाहिए। अनुदानग्राही को इस रजिस्टर की एक प्रति प्रतिवर्ष संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तुत करनी चाहिए।
- 10.8 अनुदानग्राही दो जमानतदारों के साथ निर्धारित प्रपत्र में भारत के राष्ट्रपति के नाम इस आशय का बंध पत्र निष्पादित करेगा कि वह अनुदान की शर्तों का पालन करेगा। उसके द्वारा अनुदान की शर्तों का पालन न किए जाने या बंध-पत्र का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में अनुदान प्राप्तकर्ता और जमानती अलग-अलग या मिलकर भारत के राष्ट्रपति को भारत सरकार की वर्तमान उधार दर पर ब्याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाएगा।
- 10.9 केंद्रीय सहायता से अधिगृहीत भवनों व अन्य परिसम्पत्तियों पर प्रथम पुनर्ग्रहणाधिकार भारत के राष्ट्रपति का होगा और भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना भवन या उपस्कर को किसी अन्य पक्ष को पट्टे पर नहीं दिया जाएगा या उसे गिरवी नहीं रखा जाएगा। तथापि, इस प्रकार अधिगृहीत स्टूडियो थिएटर या अन्य सुविधाओं को अस्थायी इस्तेमाल हेतु किसी अन्य पक्ष को पट्टे पर देने का प्रावधान इस शर्त से मुक्त होगा।
- 10.10 यदि किसी स्तर पर सरकार दिए गए अनुदान या उससे सृजित सुविधाओं के समुचित उपयोग से संतुष्ट नहीं है तो सरकार, भारत सरकार की वर्तमान ऋण दर पर ब्याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाने की मांग कर सकती है।
- 10.11 अनुदानग्राही संगठन, इस स्कीम के तहत विकसित स्टूडियों/थिएटर/सांस्कृतिक स्थल में समुचित रूप से मंत्रालय का नाम लिखकर भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय की वित्तीय सहायता का आभार प्रकट करेगा।
- 10.12 केवल अनुदानग्राही, भवनों के निर्माण या भूमि और भवनों के उपयोग संबंधी स्थानीय क्षेत्र में यथा लागू कानूनों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार होगा।
- 10.13 ऐसी अन्य शर्तें जो भारत सरकार समय-समय पर लागू करे।
सामान्यतया पूर्व की ‘‘सांस्कृतिक संगठनों को भवन अनुदान स्कीम’’ के तहत स्वीकृत किए गए मामलों को फिर से नहीं खोला जाएगा और न ही सामान्तया इस स्कीम के प्रवाधनों के तहत संस्वीकृत राशि को बढ़ाया जाएगा परन्तु भवन अनुदान के ऐसे मामले में वितरण हेतु लंबित किस्तों को, अनुदानग्राही संगठन के अनुरोध पर, विभिन्न किस्तें जारी करने के लिए पद्धति व इस स्कीम के तहत परिकल्पित दस्तावेजी अपेक्षाओं का पालन करके जारी किया जाएगा। तथापि, ऐसे मामलों में जब कोई किस्त जारी नहीं की गई हो तो अनुदानग्राही संगठन पूर्व स्वीकृति को रद्द करने व इस स्कीम के तहत उसकी परियोजना पर नए सिरे से विचार करने का अनुरोध कर सकता है। विगत के मामलों में जब पूरा संस्वीकृत अनुदान जारी नहीं किया गया हो और परियोजना अधूरी पड़ी हो तथा अनुदानग्राही संगठन अपने मामलों की समीक्षा तथा इस स्कीम के तहत संस्वीकृत अनुदान को बढ़ाने की मांग करे तो मामला-दर-मामला आधार पर निर्णय किया जाएगा।