(i)अनुभाग अधिकारी (एसएण्ड अनुभाग ) कमरा नं. 211, द्वितीय तल, पुरातत्व भवन, डी-ब्लॉक, जीपीओ कॉम्प्लेक्स, आईएनए, नई दिल्ली- 110023, फोन नं. 011-24642157 अथवा ई-मेल- scholar-culture[at]nic[dot]in
(ii)निदेशक, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र, 15-ए, सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली-110075, फोन नं. 25074256 अथवा ई-मेल- dir[dot]ccrt[at]nic[dot]in
विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों को शिक्षावृत्तियां प्रदान करने की स्कीम
स्कीम का उद्देश्य असाधारण प्रतिभा वाले युवा कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, स्वांग दृश्य कला, लोक, पारम्परिक और स्वदेशी कलाओं तथा सुगम शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भारत में उच्च प्रशिक्षण के वास्ते वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
शिक्षावृत्तियों की कुल संख्या 400
- भारतीय शास्त्रीय संगीत
शास्त्रीय हिन्दुस्तानी संगीत (गायन और वाद्य) शास्त्रीय कर्नाटक संगीत (गायन और वाद्य इत्यादि)
- भारतीय शास्त्रीय नृत्य/संगीत
भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, ओडिसी नृत्य/संगीत, मणिपुरी नृत्य/संगीत, थांगटा, गौडिया नृत्य, छऊ नृत्य/संगीत, सतरिया नृत्य।
- रंगमंच
रंगमंच कला का कोई विशिष्ट पहलू, जिसमें अभिनय, निर्देशन आदि शामिल हैं किन्तु नाट्यलेखन और अनुसंधान शामिल नहीं है।
- दृश्य कलाएं
रेखांकन, मूर्तिकला, चित्रकारी, सृजनात्मक फोटोग्राफी, मृत्तिका और सिरेमिक्स आदि।
- लोक, पारम्परिक और स्वदेशी कलाएं
कठपुतली, स्वांग, लोक रंगमंच, लोक नृत्य, लोक गीत, लोक संगीत, आदि (एक सोदाहरण सूची पैरा 8 ‘टिप्पणी’में देखी जा सकती है)।
- सुगम शास्त्रीय संगीत
- ठुमरी, दादरा, टप्पा, कव्वाली, ग़ज़ल
- कर्नाटक शैली पर आधारित सुगम शास्त्रीय संगीत आदि
- रवीन्द्र संगीत, नज़रूल गीति, अतुलप्रसाद
सामान्यतः शिक्षावृत्ति की अवधि दो वर्ष होगी।
प्रत्येक मामले में प्रशिक्षण का स्वरूप अध्येता के पिछले प्रशिक्षण तथा पृष्ठभूमि पर विचार करने के बाद निर्धारित किया जाएगा। सामान्यतः, यह किसी गुरू/प्रशिक्षक अथवा मान्यता प्राप्त संस्था की उच्च प्रशिक्षुता के स्वरूप की होगी।
अध्येता को कठोर प्रशिक्षण लेना होगा। इस प्रकार के प्रशिक्षण में संबंधित विषय/क्षेत्र में सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त करने में लगे समय के अतिरिक्त अभ्यास के लिए प्रतिदिन कम से कम तीन घंटे का समय और संबंधित विषयों को समझना भी शामिल है।
प्रत्येक अध्येता को यात्रा, पुस्तकों, कला सामग्री या अन्य उपस्कर और ट्यूशन या प्रशिक्षण प्रभार, यदि कोई हो, पर अपने रहन-सहन के व्यय को पूरा करने के लिए दो वर्ष की अवधि के लिए प्रतिमाह 5000/- रू. का भुगतान किया जाएगा।
- अभ्यर्थियों को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- अभ्यर्थियों में उनके प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से आगे चलाने के लिए पर्याप्त सामान्य ज्ञान होना चाहिए।
- अभ्यर्थियों को उनके प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से आगे चलाने के लिए अपनी इच्छा का प्रमाण देना होगा।
- चूंकि, ये शिक्षावृत्तियां उच्च प्रशिक्षण के लिए दी जाती हैं, न कि नए सीखने वालों के लिए, अतः अभ्यर्थियों के पास चुने हुए कार्यकलाप के क्षेत्र में प्रवीणता डिग्री होनी चाहिए।
- अभ्यर्थी को अपने गरू/संस्थानों से न्यूनतम 5 वर्ष का प्रशिक्षण लिया होना चाहिए। आवेदन के साथ वर्तमान गुरू/संस्थान और पूर्व गुरू/संस्थान (यदि कोई हो) द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित प्रपत्र के भाग-I में इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- अभ्यर्थी को सम्बद्ध कलाओं/विधाओं में पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।
- अभ्यर्थी की आयु उस वर्ष में 1 अप्रैल को 18 वर्ष से कम और 25 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए जिस वर्ष में आवेदन किया जा रहा है। आयु सीमा में छूट नहीं है।
प्रत्येक वर्ष सीसीआरटी द्वारा आवेदन आमंत्रित करने संबंधी विज्ञापन समय-समय जारी किया जाएगा।
साक्षात्कार के समय आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज (फोटो सहित) जमा कराने होंगे:
- शैक्षिक योग्यताओं, अनुभवों इत्यादि की एक-एक स्व सत्यापित प्रति। किसी भी हालत में मूल दस्तावेज नहीं भेजने चाहिए।
- मैट्रिक या समकक्ष प्रमाण-पत्र, यदि कोई हो, अथवा आयु को कोई अन्य संतोषजनक प्रमाण (जन्म पत्रियों के अलावा) की एक सत्यापित प्रति।
- नवीनतम पासपोर्ट आकार का एक फोटो।
- जो उम्मीदवार चित्रकला, मूर्तिकला और प्रयुक्त कला के क्षेत्र में शिक्षावृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें अपने आवेदन पत्रों के साथ उत्कृष्ट मूल कृतियों की, स्व सत्यापित फोटो भी भेजनी होगी। दृश्य कला के लिए ललित कलाओं में स्नातक अथवा समकक्ष न्यूनतम अर्हता है।
- यदि आवेदक एक से अधिक क्षेत्र के लिए आवेदन करना चाहता है तो उसे प्रत्येक क्षेत्र के लिए अलग-अलग ऑनलाइन आवेदन-पत्र भेजना चाहिए।
- चूंकि ये शिक्षावृत्तियां उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए दी जाती हैं, अतः अभ्यर्थी को अपने गुरू/संस्थानों से न्यूनतम 5 वर्ष का प्रशिक्षण लिया होना चाहिए। आवेदन के साथ वर्तमान गुरू/संस्थान और पूर्व गुरू/संस्थान (यदि कोई हो) द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- अभ्यर्थियों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष साक्षात्कार/प्रदर्शन के लिए उपस्थित होना होगा। अभ्यर्थियों को साक्षात्कार / प्रदर्शन की तारीख, समय और स्थान की सूचना अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन में दिये गये ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। चयन पूर्णतः योग्यता आधार पर किया जाएगा।
- परिणाम मंत्रालय की वेबसाइट (www.indiaculture.nic.in) पर प्रकाशित किया जाएगा। निर्णय पत्र उम्मीदवारों को स्पीड पोस्ट द्वारा भेज दिया जाएगा।
- पते में किसी प्रकार का परिवर्तन हो तो उसे इस मंत्रालय को लिखित में सूचित किया जाना चाहिए। सूचित करते समय प्रशिक्षण के विषय/ क्षेत्र फाईल संख्या (यदि कोई हो) का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
- आगे के किसी भी पत्र व्यवहार के लिए उम्मीदवार निम्नलिखित ब्यौरे अवश्य दें:
- स्कीम का नाम
- सुस्पष्ट अक्षरों में उम्मीदवार का नाम
- प्रशिक्षण का विषय/क्षेत्र
- पंजीकरण संख्या।
कठपुतली रंगमंच
छाया कठपुतली
- उड़ीसा की रावणछाया
- महाराष्ट्र का चमड्याचा बाहुल्या
- केरल का तोल पावाकूतु
- तमिलनाडु का तोलु बोम्मलाटा
- आंध्र प्रदेश का तोलु बोम्मलाटा
- कर्नाटक का तोलागु गोंबे अट्टा
छड़ या धागा कठपुतली
- पश्चिम बंगाल का पुतुलनाच
- राजस्थान की कठपुतली
- कर्नाटक का गोंबेअट्टा
- केरल का पावाकूतु
- तमिलनाडु का बोम्मलाटा
- उड़ीसा का सखी-कुंडेई
- महाराष्ट्र का कलासूत्री बहुली
- बिहार का चदर बदर
दस्ताना कठपुतली
- उत्तर प्रदेश की गुलाबो सिताबो
- केरल का पावा कथकली
पारम्परिक रंगमंच
भक्ति संगीत
- कथाकालक्षेपम की हरिकथा
- तेवारम, तिरूपुगाज, कावडिचिंदु
- महाराष्ट्र के भजन और अभंग
- विभिन्न धार्मिक समुदायों के गीत
- मणिपुर का संकीर्तन
- बंगाल का बाउल
- दिव्यप्रबन्दम और अरैया सेवाई
लोक संगीत
- सभी क्षेत्रों के महिला गीत
- बच्चों के तथा बच्चों द्वारा गाए गीत
- महाकाव्यों से संबंधित गीत
- विभिन्न जातियों के गीत
- सभी क्षेत्रों की देवी माता की भेंटें
- उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक की विभिन्न प्रकार की लावणी
- महाराष्ट्र के गोलण
- दक्षिण के कुरवंजी गीत
- नागेसी-हरदेसी (कर्नाटक) सहित विभिन्न क्षेत्रों के कलगी तुरा
- गौरव गीत (कलगी तुरा)
- कर्नाटक और महाराष्ट्र के गोंधल
- बिंगी पद (अंटिके पंटिके)
- तत्त्व गीत (एकतारी मेला)
- किन्नरी जोगी गीत
- काणे-पद
- गीगीपद
- गुंडिका पद
- जोकुमार गीत
- दोम्बी दास के गीत (गाथा)
- नील गार के गीत
- पंढरी भजन
- रिवायत के गीत (सवाल-जवाब) और मर्सिया कहानी
- लोक तथा जनजातीय संगीत वाद्य
- समष्टि वादन (पंचमुख-वाद्य, करडी, मजलू, वेलगा, सिट्टी, मेला, छकड़ी, अंजुमन आदि)
अन्य विविध परम्परागत स्वरूप
- मणिपुर का पेनाइसेई
- लोक संगीत (जाति संगीत)
- राजस्थान का मांड
- गोवा का रणमाल्येम
- असम का देवधानी
- मध्य प्रदेश की चांदयानी
- कश्मीर का भांड जष्न
- तेय्यमतुरा
- तिब्बती कलावस्तु तथा अभिलेखागार के पुस्तकालय, धर्मषाला में तिब्बती चित्रकला और काष्ठ शिल्प का अध्ययन।