अनुभाग अधिकारी (सीएण्डएम), कमरा नं. 337, विज्ञान भवन एनेक्सी, नई दिल्ली। ई-मेल : candmsection[at] gmail[dot]com, फोन नं. 23022447
- उन सुविख्यात राष्ट्रीय विभूतियों की भूमिका को याद करना जिन्होंने हमारे देश के इतिहास में योगदान किया है और इसमें ऐतिहासिक भूमिका अदा की है;
- उनके जीवन और कार्यकलापों तथा भारतीय विरासत के प्रति उनके विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालना;
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में उनके योगदान की व्याख्या और सम्प्रेषण करना;
- विषेषकर नौजवान पीढ़ी को जागरूक करके, राष्ट्र के प्रति ऐसीे विभूतियों के योगदान के बारे में जानकारी को बढ़ावा देना
- स्कीम के अंतर्गत निम्नलिखित तीन प्रवर्गों के स्मारकों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी:-
- केन्द्र सरकार की पहल पर स्थापित स्मारक ;
- राज्य सरकार और/अथवा नगर निकायों की पहल पर स्थापित स्मारक; और
- स्वैच्छिक संगठनों द्वारा स्थापित स्मारक।
- जहां तक प्रवर्ग (क) का संबंध है, सामान्यतः संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार इस संबंध में निर्णय लेगा तथा अपने स्वयं के बजट से निधियां प्रदान करेगा।
- जहॉ तक स्मारक स्थापित करने हेतु राज्य सरकार से प्राप्त अनुरोध का प्रष्न है, सहायता की मात्रा के संबंध में सामान्यतः अलग-अलग मामलों के गुणावगुणों पर निर्णय किया जाएगा।
- स्वैच्छिक संगठनों/नगर निकायों के मामले में केन्द्र सरकार का अनुदान, केवल अनुदान के अनुपूरक के रूप में दिया जाएगा, जो राज्य सरकार से प्राप्त हो।
- स्कीम ऐसे संगठनों पर लागू नहीं होगी जो धार्मिक संस्थाओं के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- अनुदान पर निर्णय लेते समय स्वावलंभी संस्थानों को बढ़ावा देने के कार्य को सर्वोपरि उद्देश्य /मानदंड के रूप में महत्व प्रदान किया जाएगा।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारकों / स्थलों को इस अनुदान के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।
- 1. एक स्मारक के लिए वित्तीय सहायता की अधिकतम सीमा 5 लाख रूपये होगी।
- 2. वित्तीय सहायता की राशि का निर्णय मामले के गुणावगुण आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाएगा।
- 3(i) (ख) और 3(ii) (ग) के मामले में, सहायता, समुचित किस्तों में और केन्द्र सरकार/राज्य सरकार, जैसा भी मामला हो, द्वारा संस्वीकृत पिछली किस्तों का उपयोग प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर प्रदान की जायेगी।
- इस मंत्रालय में लेखों के संपरीक्षित विवरण, उपयोग प्रमाण-पत्र और लोक निर्माण विभाग/सिविल अभियन्ता (भवन के जीर्णोद्धार के लिए अनुदान के मामले में) से कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के पश्चात् अंतिम किस्त जारी की जाएगी।
- आवेदक एजेंसी को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत अथवा इस समय लागू किसी अन्य विधि के अंतर्गत एक सार्वजनिक न्यास के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
- अनुदान के लिए आवेदन करने से पूर्व, इसे कम से कम 5 वर्षों से अस्तित्व में होना चाहिए, परन्तु अपवादस्वरूप मामलों में, भारत सरकार द्वारा ऐसी अवधि में ढील दी जा सकती है।
- आवेदक एजेंसी अखिल भारतीय स्वरूप की होनी चाहिए।
- इसे वित्तीय रूप से मजबूत, सुविधाओं, संसाधन और कार्मिकों से युक्त होना चाहिए ताकि स्मारक, जिसके लिए अनुदान अपेक्षित है, का रख-रखाव किया जा सके।
- सरकार की नीति को दृष्टि में रखते हुए, उन संस्थाओं/संगठनों को वरीयता दी जायेगी, जो नये स्मारक स्थापित करने के बजाय विकासात्मक कार्यक्रम शुरू करने करने का प्रस्ताव करते हैं।
- विहित सीमा के भीतर विद्यमान स्मारकों के जीर्णोद्धार और मरम्मत के लिए कुछ सहायता पर विचार किया जायेगा।
- नये भवनों के निर्माण हेतु अनुदान नहीं दिए जायेंगे।
- आवेदन-पत्र अनिवार्यतः राज्य सरकार की सिफारिषों के साथ भेजे जायेंगे।
- राज्य की केवल एक सोसायटी/न्यास पर विषिष्ट स्मारक हेतु अनुदान के लिए विचार किया जायेगा।
आवेदन-पत्र निम्नांकित कागजातों के साथ संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा जाना चाहिए :-
- . संगठन की संरचना ;
- प्रबंधन मंडल की संरचना और प्रत्येक सदस्य का विवरण;
- उपलब्ध अद्यतन वार्षिक रिपोर्ट की प्रति तथा साथ ही पिछले तीन वर्षों के लिए संस्थान/संगठन के आय और व्यय का विवरण और किसी सनदी लेखाकार अथवा सरकारी लेखा परीक्षक से प्रमाणित पिछले वर्ष के तुलन-पत्र की प्रति;
- राज्य-सरकार की सिफारिश;
- परियोजना, जिसके लिए सहायता मॉगी गई है, का एक विस्तृत विवरण और इसके कार्यान्वयन की समय-सूची;
- परियोजना के लिए नियुक्त किए जाने वाले स्टाफ की अर्हताएं और अनुभव;
- परियोजना का वित्तीय विवरण, जिसमें पृथक रूप से आवर्ती और अनावर्ती व्यय का मद-वार ब्यौरा हो और स्रोत, जिससे दूसरे पक्ष की निधियॉ प्राप्त की जायेंगी;
- संबंधित सोसाइटी/न्यास के पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि;
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार अपने चयन द्वारा किसी भी एजेंसी के माध्यम से या सीधे संबंधित विषय पर कोई भी परियोजना शुरू कर सकता है और उस परियोजना के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस स्कीम से परियोजना के लिए ऐसी किसी भी राशि का वित्त पोषण कर सकता है जो वह उचित समझे।